Monday की सुबह 4 बजे , amdavad के सारे बच्चे , अपनी अपनी दुनिया में कुछ ज़रूरी काम निपटा रहे थे . दरअसल यह ज़रूरी काम केवल बच्चे ही समझ सकते हैं , बड़ों के लिए इन्हें समझ पाना ज़रा मुश्किल है .
वैसे क्या रात में सोने के बाद आप भी कहीं जाते हैं? मुझे अकसर Spider-man के साथ बन मस्का खाते हुए America जाना पड़ता है . यूँ तो मुझे kankaria जाना बेहद पसंद है , पर अब दोस्ती भी तो निभानी है . अच्छा , एक राज़ की बात बताऊँ ? किसी से कहियेगा नहीं ! कुछ रात पहले जब अब्बू ने मुझे खौफनाक शैतानों वाली कहानी सुनाई थी , तो मैं पूरी रात खिड़की पर बैठ उन्हीं के साथ aeroplane उडाता रहा , काफी मज़ा आया था .
और आज भी मैं आपको एक बहुत ही मजेदार किस्सा सुनाने वाला हूँ . मुझे पता है , हम सभी बच्चों के पास ढेर सारे मजेदार किस्से होते हैं , हम हैं ही कुछ ऐसे ख़ास , और महान , इसीलिए आप भी सुनाइएगा , पर पहला नंबर मेरा .
यह किस्सा है मेरे मनपसंद दोस्तों का , जोया और ज़फर का . Zoya aur zafar भाई बहन हैं , उनका घर मेरे घर के एकदम पास में है . यूँ समझ लीजिये की बस दीवार फांदने की देर है . उनकी अम्मी मेरी अम्मी की दोस्त हैं , उनके अब्बा मेरे अब्बा के दोस्त हैं , यहाँ तक की उनकी आपा भी मेरी आपा की दोस्त हैं . वाजिब है , की zoya , zafar और मैं , हम तीनों भी खास दोस्त हैं .
यूँ तो Zoya भी मेरी क्लास की बाकि लड़कियों के समान gudiyon को सजाने का शौक रखती है , और zafar भी चोरी छिपे salman Bhai को बेहद चाहता है , पर उन दोनों का एक जादुई राज़ है , जो केवल मुझे और उनकी फूफी को पता है . उन दोनों के जो चश्मे हैं , वो कोई मामूली चश्मे नहीं , बल्कि नायब चश्मे हैं .
एक बार Zoya और zafar फूफी के साथ चश्मा घर जा पहुंचे , जहाँ बैठे अल्ताफ मियां ने फूफी को बतलाया की वो दोनों बिना जादुई चश्मा लगाये कभी भी बातूनी आईने में न देखें . फूफी ने यह जाना तो बातूनी क्या , घर के सभी आईनों में कला रंग पुतवा दिया . यहाँ तक की बेचारी जोया और बेचारे zafar को चश्मे लगाकर ही गुसलखाने जाने दिया जाता है .
एक दिन स्कूल से लौटते समय हमारा auto तीन दरवाज़ा पर आके ख़राब हो गया . फिर क्या था , हम सब बच्चे तो हैं ही ज़िम्मेदार , झट अपने अपने बसते उठाये , और बाज़ार में खेलने निकल पड़े .
पर हमारी उस भागम भाग में zoya और zafar के चश्मे जो थोड़े बड़े थे , गिर कर टूट गए . Zafar अपने खेल में मशरूफ रहा पर zoya को रुयाँसा होता देख , मैंने कलाबाजियां करके दिखाईं , जिनसे उसको हंसी तो नहीं आयी मगर उसकी नज़र दूकान में बातें करते आईने पर पड़ गयी , और फिर zoya ने जो देखा वह सच न होकर भी सच्चा लगा . Zoya बहुत घबरा गयी इसलिए हम कुल्फी फलूदा लेकर इत्मिनान से बैठ गए . अब यूँ तो कुल्फी फलूदा का जो मज़ा बिना घर पर बताये खाने का होता है , वो बयां नहीं किया जा सकता . मेरे ख्याल से आपको भी , चाहे आपकी कितनी भी उम्र हो , घर से छुपकर एक बार कुल्फी फलूदा ज़रूर खाना चाहिए .
मगर उस समय zoya मुझे बहुत नाखुश लगी . उसकी मायूसी मैं भांप गया ,अब हम कोई साहिब ए जयेदाद तो हैं नहीं , और उसकी नन्ही जान यह फैसला नहीं कर पा रही थी की वह 2 rs. में गोरेपन की cream भला कैसे खरीद सके ? अजी ऐसी जादूगरी की न केवल आप बेहद हसीं लगने लगें बल्कि सभी ख़ूबसूरती के खिताब और तो और बढ़िया नौकरी भी आपकी झोली में आ गिरे. शायद आप समझे नहीं , zoya को आईने ने पूरे दावे के साथ बतलाया की वह एक सफ़ेद रईस राजकुमारी बन सकती है, या यूँ कह लीजिये की अगर वो एक सफेद राजकुमारी नहीं बनी तो धरती थम जाएगी और सूरज सदा के लिए ढल जायेगा, . यहाँ मैं zoya का मसला सुलझा नहीं पा रहा था की सामने से zafar बहुत सारे केले लेकर भागते दिखा . Zafar एक सुस्त किस्म का इंसान है , उसे इतनी फुर्तीली से छलांग लगता देख मैं शर्तिया तौर पर समझ गया की हमारे दोस्त ने बोलते आईने में बन्दर देखा होगा.
बहुत सारी तकलीफों का सामना करते हुए मैं एक अड़ियल राजकुमारी और गैर ज़िम्मेदार बन्दर को उनके घर पहुंचा आया , मगर बर्खुर्दार्र यह तो बस एक शुरुआत थी . आगे जो मस्लाधर युद्ध हुए , उनके बारे में जितना कहा जाये वह कम है …
really cutely written. poo why dont you write (and illustrate of course) for childrens magazines. huge dearth of talent there
Thanks so much Debanshu! 🙂 But contrary to that I have always found extraordinary work being done in children’s literature and story books in India, its just that most of it is either not discovered, or too expensive, or limited to alternate modes of education. 🙂 no dearth of talent re, but yes I would still love to be a storyteller , it spreads joy